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शेर

  • Writer: Gopendra Sharma
    Gopendra Sharma
  • Jun 3, 2020
  • 1 min read

अश्क छलकता है इन आखों से

..... तेरे बाद किसी और से दीदार नहीं किया



जिंदगी मोहब्बत का छलावा है साहब

इसके द्वारा हर कोई ठगा जाता है ।।


....एक बार मेरे आशियाने में झांककर देखना ।

तुम्हें पता चल जाएगा मैने कितने पापड़ बेले है ।।


साहब इतना शक क्यों करते हो

हो सकता है watermark मां के लिए ही हो



जिंदगी एक ढलावा है , ढल जाएगी

फिर इसके लिए इतना प्रयोजन क्यों


सख्शियत को खुशनुमा बनाइए

नहीं तो तजरबा बढ़ेगा


खुदा कसम ऐसा तजरबेकार इंसान मैंने आजतक नहीं देखा


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